भारत में खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत सबसे सस्ता अनाज

आज हम बात करने वाले हैं एक ऐसे एक्टर के बारे में जिसके जरिये सरकार ने भारत में सभी जरूरतमंदों को सस्ते दामों पर अनाज उपलब्ध करवाया। 


2011 में नैश्नल एडवाइजरी काउंसिल की अध्यक्ष रहीं सोनिया गाँधी ने। 

लोकसभा में फूड सिक्योरिटी बिल को पेश किया। इस बिल के जरिए सरकार हमारी सोसाइटी में ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस सबसे डाइस फूड ग्रेड मुहैया करवाना चाहती थी। जहाँ पहली इंडियन पोपुलेशन के सिर्फ 30% लोगों को सब्सिडाइज्ड फूड ग्रेड मिलता था। वहीं अब सरकार इस बिल के जरिए 70% लोगों को या कहीं 80 मिलियन लोगों को सब्सिडाइज ग्रीन मुहैया करवाना चाहती थी। 

इसके बाद सरकार का फूड सब्सिडी का खर्चा $75,000 से बढ़कर 1.1 ट्रिलियन डॉलर होने वाला था। इस बिल के जरिये अनाज सस्ते दामों में देने का वादा किया गया। जैसे वन रुपी पर के जी में मिनिट्स जैसे आपके ज्वार, रागी, बाजरा, ₹2 पर। जी मैं गेहूं और ₹3 पर के जी में चावल पर ये मिशन जितना ऐम्बिशस था, उतना ही मुश्किल फूड मिनिस्ट्री द्वारा ये अंदाजा लगाया गया कि सरकार को अब अपना ये प्रॉमिस पूरा करने के लिए सालाना 80 मिलियन टन अनाज प्रोक्युर्मन्ट करना पड़ेगा। 

पर जैसे आप जानते हैं कि मौसम का कुछ अता पता नहीं और इसी वजह से पॉलिसीमेकर्स भी डरे हुए थे की सालाना 50 मिलियन टन से। 

ज्यादा अनाज का उत्पादन कैसे करेंगे? 

फिर बहुत सोच विचार के बाद ये बिल पास किया गया। 10 सेप्टेम्बर 2013 को बीके नेम नैश्नल फूड सिक्योरिटी एट 2013 । इसमें पॉप्युलेशन को दो कैटेगरीज में डिवाइड किया गया। एक थे प्राइऑरटी हाउसहोल्ड और दूसरे थे अन्य योजना हाउसहोल्ड प्राइऑरटी, हाउसहोल्ड को पर पर्सन फाइव किलो अनाज देने का फैसला किया और अन्य योजना की हर घर को हर महीने 35 किलो अनाज देने का फैसला किया। 

आपका मिड डे मील प्रोग्राम पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम डिस्को आप PDS के नाम से भी जानते हैं और इंटिग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट सर्विस स्कीम ये सभी नेशनल फूड सिक्योरिटी ऐक्ट के अंदर आ जाते हैं। 

इसकी में गर्भवती महिलाएं, स्तनपान करने वाली महिलाएं और 14 साल से कम उम्र के बच्चों की भूख का भी ध्यान रखा गया है। पर ये स्कीम जितनी सुनने में अच्छी लगती है, इम्प्लिमेंटेशन में उतनी ही मुश्किलें हैं। कम सोलर ऐंड ऑडिटर जनरल या कहीं सीएजी की रिपोर्ट में यह पाया गया कि गलत लोग स्कीम का बेनिफिट उठा रहे हैं। 

मतलब जिनको मिलना चाहिए अनाज उनको नहीं मिल पा रहा है। ये भी पाया गया कि इतनी अनाज को स्टोर करने की पर्याप्त जगह नहीं है। स्टोरेज स्पेस बहुत कम है और तो और लोग भी अनाज की खराब क्वालिटी होने की शिकायत कर रहे हैं। अब सरकार इस स्कीम को इफेक्टिव बनाने के लिए कुछ कदम उठा रही है। जैसे इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना वन नेशन वन राशन कार्ड को इंट्रोड्यूस करना इस स्कीम के जरिये ये कोशिस की गयी कि हमारे देश का कोई भी इंसान उनका पेट सोने ना जाए और शायद हम इसमें कामयाब भी रहे कैसी लगी आपको हमारी ये पेशकश

Suraj Rai

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